दरअसल एक किताब विमोचन कार्यक्रम में मोहन भागवत ने एक बयान दिया ।
"यदि कोई हिन्दू कहता है कि मुसलमान यहां नही रह सकता है,तो वो हिन्दू नहीं है , गाय एक पवित्र जानवर है ,लेकिन जो इसके नाम पर किसी दूसरो (मुस्लिम )को मार रहे हैं वो हिंदूत के खिलाफ है , ऐसे मामलो मे कानून को अपना काम करना चाहिए ,और साथ ही साथ उन्होंने कहा सभी भारतीयों का डीएनए एक है चाहे वो किसी धर्म का हो। "
जिसके बाद इसपर बहुत से लोगो की प्रतिक्रिया भी आई जिनमे Aimim के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद ने कहा
"RSS के भागवत ने कहा लिंचिग करने वाले हिंदुत्व विरोधी "। इन अपराधियो को गाय और भैंस मे फर्क नहीं पता होगा लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद,अखलाक , पहलू, रकबर, अलीमुदीन के नाम ही काफी थे ।ये नफरत हिंदुत्व की देन हैं, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल हैं"।
केंद्रीय मंत्री के हाथो अलीमुदीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती हैं, अखलाक के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता हैं, आसिफ को मारने वालो के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है ,जहा भाजपा प्रवक्ता पूछता है कि "क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?"
कायरता , हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा हैं। मुसलमानों की लिंचीग भी इसी सोच का नतीजा है।
जिसके बाद दिग्विजय सिंह कांग्रेस नेता पलटवार करते हुए मोहन भागवत को यह ट्वीट किया
"यदि आप अपने व्यक्त किए गए विचारों के प्रति ईमानदार है तो भाजपा में वह सब नेता जिन्होंने निर्दोष मुसलमानों को प्रताड़ित किया है उन्हें उनके पदों से तत्काल हटाने का निर्देश दें शुरुआत नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से करें "
मुझे मालूम है आप नहीं करोगे क्योंकि आपके कथनी और करनी में बहुत अंतर है,आपने सही कहा है
#हम पहले भारतीय हैं
#we are indian first
लेकिन हुजूर अपने शिष्य को तो पहले समझाए वे
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