असल कामयाबी क्या है?
हम क्या सोचते है कामयाबी के बारे में हम सोचते हैं।
कामयाबी = पैसे से है।
कामयाबी = जायदाद से है।
कामयाबी= कारोबार से है।
कामयाबी= शोहरत से है।
कामयाबी= इख्तेदार से है।
जो जितना दौलतमंद उतना कामयाब
जिसने बरा कारोबार जमा लिया कामयाब
जिसने बहुत ज्यादात जमा कर लिया कामयाब
जिसने अपना बरा पहचान बना लिया वो कामयाब
जो जितना ताकतमंद वो उतना कामयाब
जो हुकूमत तक पूछ को पहुंच गया कामयाब
जो तसव्वुर होगा कामयाबी का उसी के लिए लोगो की भाग दौड़ होगा उसी के लिए लोग जीदोजहज होगा उसी के लिऐ अपना सब कुछ दाव पे लगा देंगे और उस काम्यबी को पाने के लिए छोटी से बारी गलती करेंगता
लेकिन क्या होगा जब आपको ये पता चले की कामयाबी इनसे नही है।
कामयाबी दौलत से नहीं ।
कामयाबी शोहरत से नही ।
कामयाबी जयदात से नही ।
और कामयाबी इख्तेदार और सल्तनत से नही।
बल्की कामयाबी ईमान से है आमले सालेह और तवासे बिल सब्र से है ।
अगर हमारा ईमान ही सही नही तो हम हर चीज हासिल कर के लेकिन कामयाब नही हो सकते सही में हम दुनिया में भी और आखिरत में भी ना कामयाब ही होंगे
असल में जो तसबुर कामयाबी का होगा उसी के लिए भाग दौड़ होगा लेकिन आपका कामयाबी का तसबूर ही गलत हों तो जाहिर सी बात है की आप को कामयाबी नहीं मिलेगी तो हमें चाहिए की हमे अपना ईमान सही होना चाहिए नही तो हम बर्बाद हो जाएगा ।
इसीलिए हम सब को अपना ईमान बचा के रखना चाहिए और सही कामयाबी की तरफ अपना रूजू करना चाहिए ।
और असल कामयाबी हासिल करनी चाहिए और असल कामयाबी तो ईमान है। और अमले सालेह और तवासे बिल हक ।और वो नेक काम करो। जैसे की कराने का तुमको हुकुम हुक्म दिया गया है ।और अपना हक अदा करो और यातिमो का हक उनको दे दीया करो ।
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