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The deepest ocean of sorrow

 The deepest ocean of sorrow 

ये बात हैं उन दिनों की जब मैं 14 साल की थी तब मैं अपनी जिंदगी में सबसे अच्छे दौर में थी। और ये अच्छे दिन इसलिए क्योंकि किसी बात का ना दुःख था और न ही अपशोस  खैर जिंदगी कट ही रही थी मेरे पिता जी एक सरकारी दफ्तर में काम करते हैं। उनकी इतना ही तन्खवाह मिलता था जितना में हम आराम से खा सकते थे। किसी तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे थे हम चार बहनों में मैं सबसे ज्यादा सावली थी और बाकी बहने मुझसे बहुत ही सुन्दर थी सायद यही कारण था कि मुझसे मेरी मां बहुत प्यार करती थी ।फिर मेरी तीनो बहनों की शादी हो गई थीं अब मेरे पिता जी मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू किया लड़के तो बहुत मिल रहे थे।

लेकिन लड़के वाले को मैं पसंद नहीं थी पिता जी जहा कही भी बात करते मेरी शादी का लड़के वाले पहले बोलते हमे लड़की गोरी चाहिए जो मैं थी नही  पिता जी को लड़का ढूंढते ढूंढते पूरे 9 साल बीत गए लेकिन कही मेरी शादी तय नहीं हुई अब मेरे पिता जी बहुत ही अपशोस और रंजीदा रहने लगे उनको लगता था कि चार बेटियो में सबसे दिकत इसी बेटी की शादी में हो रही है। और मै अब बूढ़ा हो गया हु कही मैने अपनी बेटी की  शादी अपनी जिन्दगी में ना कर पाया और मर गया तो क्या होगा यही सोचते और अपसोस करते अब धीरे धीरे मुझे भी लगने लगा की मेरी शादी नहीं होगी घर के आस पर के पड़ोसी भी बात बात पे मुझसे और पिता जी से ये चुनौती लेने लगते है की इसकी कभी भी शादी नहीं होगा जब मैं ये बात सुनती तो मानो मुझे ऐसा लगने लगता ऊपर वाले में भेजा ही क्यू जब उनको ऐसा करना था मेरी मां मुझे इन्ही बातो से बहुत समझाती तू उदास मत हो बेटी भगवान के घर देर हैं अंधेर नही है।

और फिर आचनक मेरे पिता जी को पेट दर्द हुआ उनको लगा ऐसा होता रहता है थोड़ा दावा खा लेंगे सब ठीक हो जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं पिता जी तीन दिन के अंदर ही चल बसे।

उस समय मुझे बहुत दुख हुआ की भगवान ने हमारे साथ अन्याय किया। मेरी मां अब बहुत ही टूट चुकी थी वो दिन भर रोती और अपसोस करती मेरी और अपनी किस्मत पर ।

लेकिन किसी ने सही कहा है भगवान एक रास्ते को बंद करते हैं तो सौ रास्ते को खोल देते है। मैने अपने मां को किसी तरह संभाला फिर वो दिन आ  ही गया जब मेरी सादी  हो गई  मैं अपने ससुराल रहने लगी ऐसा लगने लगा कि अब सब दुख धीरे धीरे मुझसे दूर होने लगे हम तीनो अपने घर अच्छे से रह रहे थे मैं और मेरे पति और मेरी बेटी ।

मैने सोचा जैसा मेरे साथ हुआ वैसे अपने बेटी के साथ नही होने दूंगी लेकिन मुझे ये मालूम ही नहीं जो हाल मेरा हुआ था वही हाल मेरी बेटी का हुआ पूरे 9 साल होगया लेकिन कही भी बेटी की शादी तय नहीं हो पाई लड़के वाले जैसे मुझे कहते थे वैसे ही मेरी बेटी को कहते थे ।।।।

मेरी बेटी हमेशा कहती थी जैसा आपके साथ हुआ वैसे ही मेरे साथ होगा लेकिन इसके पहले की कुछ भी होता जो ये सब सोच के पागल जैसी हो गई है और अब तो वो मुझे भी नही पहचानती ना ही कोई बात मानती है जो मन में आता वही करती है। ये सब दुख कम नहीं था जब मेरे पति का की मृत्यु हो गई ।

अब तो मुझे कुछ समझ में ही नहीं आता की मैं क्या करू बस यही सोचते रहती हू भगवान जैसे उनके बुला लिया वैसे हम दोनो को भी बुला लेता क्यू हमे ऐसी दुनिया में भेज दिया जहा हमारे लिए या हमारे लायक कुछ है ही नहीं....








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