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जिमेदारी

 ये बहुत ही मुश्किल घड़ी होता है जब किसी को जिमेदारी सौपी जाती हैं या वो अपनी जिमेदारी निभाता है समझाता है।

मै परिवार मै सबसे छोटा हु और जब मेरे पिता जी थे तब मुझे किसी भी बात की कोई चिन्ता नहीं थी तब मैं अपने पिता जी से पैसे मांगता खाने के लिए तो 1₹ 2₹ मिलते थे तब मैं उनसे ये शिकायत करता था की परोसी का लड़का है उसके पिता जी उसे 5 ₹ मिलता है और मुझे नही मिलता तब वो कहते थे की हम लोग उनके जैसे अमीर नही है अपना तो एक दिन में 100 ,50 दीन की आमदनी है उसी में सब कुछ है खाना पढ़ाई लिखाई, खेती बारी, सब कुछ । तब मुझे लगता था सबकुछ आराम से चल रहा है दिकट तब होती थी कोई जरूरियात समान लेना होता था और हमारे पास पैसे नहीं होते तब मेरे पिता जी दुसरे से मांग कर घर चलाते थे । 


तब मैं अपने पिता जी को देखता था कि वो हमेशा सोचते रहते थे और ये कहते थे ये काम कैसे होगा इसके लिय ये ये चीज जरूरी है और इतना पैसा लगेगा पहले से ही सोचने लगते थे तब मैं ये सोचता और कहता था आप इतना क्यू सोचते हो सब हो जायेगा बिल्कुल टेंशन मत लो ।

जिस दिन घर में झगड़ा हो जाय तो पिता जी खाना नही खाते थे और वो समझते थे ये गलती हुई और ऐसे नही करना चाहिए और आगे से ऐसे करना ताकि गलती दुबारा न हो।

हम पिता जी को कहते आप फिजूल में इतना परेशान होते हो तब वो कहते थे की जिस दिन से ये सारी जिमेदारी तुम्हारे ऊपर आ जायेगी तब तुम्हें पता चलेगा अभी तुम्हें कुछ समझ नहीं आएगा 

तब मैं भी अपने आप को बहुत बहादुर समझाता था तो मैं कह देता था की देखना जिस दिन से मैं घर की जिमेदारी ले लूंगा तब सबसे अच्छा से चालाऊंगा।

लेकीन ये बात सिर्फ़ और सिर्फ़ कहने भर रह गया जब मेरे पिता जी का इंतकाल हुआ और घर पर मुझे सब कुछ देखना पर गया तब मैं बहुत दुखी रहने लगा । मुझे लगता है मैं उनके जैसे घर चलाने में मेरी पुरी जिंदगी लग जाएगी तब मैं सीखूंगा और सायद ये मुझसे हो भी ना।


परेशान, अपशोस और कभी कभी रोता हूं जब मेरे पाटीदार सब परेशान करते हैं कभी गाली गलौज करता है तब और जब मेरे पास पैसे नहीं होते है और पैसे की जरूरत होती है तब जब मेरे पिता जी थे तब मुझे किसी से भी डर नही लगता था जब भी कुछ होता मेरे आगे वो आ जाते थे लेकीन आज जब वो नही है कोई कुछ भी नहीं समझता है हमको कोई भी मारा मारी पे आ जाते है ऐसा जब होता है बहुत रोता हूं और तब दुआ करता हूं परदीगार मुझे बुलाले लेकीन फिर अपने घर परिवार को देखता हूं तो सोचता हूं मेरे ना होने पर इनका क्या होगा।

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